What is Equity Share? – इक्विटी शेयर क्या होता है? शेयर बाजार में निवेशकों की पहली पसंद इक्विटी शेयर ही होती है। शेयर का यह सबसे पॉपुलर और प्रमुख प्रकार है।
असल मे हम जब भी शेयर बाजार के शेयर की बात करते हैं, तो हम शेयर बाजार में मौजूद इक्विटी शेयर की बात करते हैं। साधारण बोलचाल की भाषा में इक्विटी शेयर के बदले केवल हम ‘ शेयर’ शब्द का प्रयोग करते हैं।
कहीं पर भी जब भी शेयर की बात की जा रही होती है। तब हम “Equity Share” की की बात करते हैं। भले ही वहां पर कुछ भी क्यों ना लिखा हो जैसे कि प्रेफरेंस शेयर या DVR share. यह इक्विटी शेयर ही होता है।
तो चलिए आज के हमारे इस लेख में हम यह जानेगें कि What is Equity Share? – इक्विटी शेयर क्या होता है? के कितने प्रकार होते हैं?
What is Equity Share? – इक्विटी शेयर क्या होता है?
Equity Share को साधारण शेयर या ordinary Share भी कहा जाता है। हम जब भी किसी से अपनी बात करते हैं तो हम शॉर्ट फॉर्म में इक्विटी शेयर को ही शेयर कहते हैं। यानी कि अगर किसी शेयर के आगे पीछे कुछ नहीं लिखा है तो सिर्फ ” शेयर” लिखा है तो वह अवश्य ही इक्विटी शेयर माना जाता है।
शेयर के तीन प्रकार होते हैं। भारत जैसे देश में मुख्यता इन्हीं तीन तरह के शेयर की प्रमुखता है।
- Equity Share – इक्विटी शेयर
- Preference Share – प्रेफरेंस शेयर
- DVR Share – डीवीआर शेयर
साधारण बोलचाल में हम किसी भी शेयर को शेयर ही कहते हैं ना कि अलग-अलग नाम का प्रयोग करते हैं। लेकिन यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि जब भी कोई व्यक्ति “ शेयर” शब्द का इस्तेमाल करता है। इसका सीधा अर्थ है कि वह Equity Share के बारे में बात कर रहा है।
किसी भी कंपनी के निवेशक के पास में जितनी ज्यादा शेयर यानी कि इक्विटी शेयर रहेगी, उतना ज्यादा मालिकाना हक उस कंपनी के ऊपर होता है।
इक्विटी शेयर होल्डर का लाभांश डेट नहीं होता है तथा जिसमें निवेशक यानी शेयर होल्डरों को मालिक माना जाता है। एक इक्विटी शेयर, जिसे आमतौर पर साधारण शेयर के रूप में जाना जाता है, एक हिस्सा स्वामित्व होता है। कंपनी को ज्यादा फायदा होने पर बड़ा फायदा इक्विटी शेयर होल्डरों को ही होता है। उसके ठीक विपरीत अगर कंपनी डूब जाती है तो इसका नुकसान भी इक्विटी शेयर होल्डर को उठाना पड़ता है।
इक्विटी शेयर होल्डर और मालिकाना हक
इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी का असली मालिक माना जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि इक्विटी शेयर होल्डर के पास कंपनी में किए जाने वाले मैनेजमेंट के फैसले में वोट देने का अधिकार होता है। इस तरह से इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के कार्यों पर नियंत्रण रखता है।
इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी द्वारा अर्जित किए गए लाभ में सबसे अंत में लाभ से डिविडेंड के रूप में हिस्सा दिया जाता है। यही वजह है कि अगर कंपनी लाभ अर्जित नहीं करती है तो इक्विटी शेयर होल्डर को किसी भी तरह का लाभ कंपनी द्वारा नहीं दिया जाता है।
इस तरह से देखा जाए तो इक्विटी शेयर होल्डर किसी कंपनी के शेयर को खरीद करके वह अपनी पूंजी अधिक जोखिम में डाल देता है। क्योंकि अगर कभी कंपनी बंद होती है तो इक्विटी शेयर होल्डर को सबसे अंत में पूंजी वापस मिलता है, और इसलिए इनको कंपनी का असली मालिक माना जाता है।
Equity Share से कंपनी को क्या फायदा होता है?
- इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी अपनी मर्जी से लाभांश देती है। अगर कंपनी फैसला करती है कि लाभांश नहीं देना तो इक्विटी शेयर होल्डर को किसी भी तरह का कोई लाभांश नहीं मिलता है।
- इक्विटी शेयर जारी करने से कंपनी की संपत्ति के ऊपर कोई अतिरिक्त दायित्व उत्पन्न नहीं होता है।
- इक्विटी शेयर, स्टॉक मार्केट पर आसानी से खरीद बिक्री यानी कि ट्रेडिंग की जा सकती है।
- इक्विटी शेयर, किसी भी कंपनी के लिए पूंजी जुटाने का सबसे बढ़िया साधन है।
- कंपनी की संपत्ति पर कोई शुल्क बनाए बिना इक्विटी शेयर जारी किया जा सकता है।
इक्विटी शेयर होल्डर को होने वाले फायदे
- इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी का असली मालिक माना जाता है। कंपनी के लाभ अर्जित करने की स्थिति में सबसे आखरी में इक्विटी शेयर होल्डर को लाभांश (Dividend) दिया जाता है।
- इक्विटी शेयर होल्डर के पास कंपनी के कार्यों के लिए वोटिंग या मतदान का अधिकार होता है। इस तरह से इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के कार्यों को नियंत्रित कर सकता है।
- अगर कंपनी बड़ा लाभ कम आती है, तो इसका अधिक फायदा इक्विटी शेयर होल्डर को मिलता है। इक्विटी शेयर का भाव बढ़ जाता है और दूसरा लाभांश अधिक मिलने की उम्मीद होती है।
इक्विटी शेयर से कंपनी को नुकसान
- यदि एक बार कोई कंपनी इक्विटी शेयर जारी कर देती है तो कंपनी इक्विटी पर ट्रेडिंग का लाभ नहीं ले सकती है।
- इक्विटी शेयर होल्डर खुद को जोड़ तोड़ तथा व्यवस्थित करके कंपनी के प्रबंधन के लिए बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।
- इक्विटी कैपिटल को भुनाया नहीं जा सकता है, इसीलिए कैपिटलईजेशन का खतरा हमेशा बना रहता है।
- निश्चित आय के साथ सुरक्षित प्रतिभूतियों में निवेश करने की इच्छा रखने वाले निवेशकों को ऐसे शेयरों के लिए कोई आकर्षण नहीं होता।
- समृद्ध अवधि के दौरान बाजार में शेयरों के मूल्य में वृद्धि के लिए उच्च लाभांश का भुगतान करना पड़ता है तथा यह अटकलों की ओर जाता है।
Equity Share कैसे खरीद सकते हैं?
इक्विटी शेयर को आप प्राइमरी एवं सेकेंडरी मार्केट से खरीद सकते हैं। आईपीओ या एफपीओ प्राइमरी मार्केट होते हैं। जबकि मान्यता प्राप्त ब्रोकर को सेकेंडरी मार्केट कहा जाता है।
साधारण शब्दों में कहा जाए तो शेयर बाजार पर किसी भी शेयर पर निवेश करने वाला निवेशक इक्विटी शेयर ही खरीदता है। इक्विटी शेयर खरीदने के लिए किसी भी निवेशक के पास डीमेट अकाउंट होना अनिवार्य होता है। उम्मीद करता हूं कि आपको यह समझ में आ गया होगा कि What is Equity Share? – इक्विटी शेयर क्या होता है?